स्थान और सीमाएं
रायसेन जिला मध्य प्रदेश राज्य के मध्य में स्थित है। यह 22°47′ से 23°33′ उत्तरी अक्षांश और 77°21′ से 78°49′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है।
जिले की सीमाएँ इस प्रकार हैं:
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उत्तर में: विदिशा जिला
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पश्चिम में: सीहोर जिला
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पूर्व और दक्षिण-पूर्व में: सागर जिला
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दक्षिण-पूर्व में: नरसिंहपुर जिला
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दक्षिण में: होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) और सीहोर जिले
रायसेन जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 8,395 वर्ग किलोमीटर है, जो मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 1.93% है।
🏰 नाम की उत्पत्ति
‘रायसेन’ नाम का संबंध यहाँ के प्रसिद्ध रायसेन किले से है, जो बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह नाम “राजवासिनी” या “राजसायन” (अर्थात् राजा का निवास) से विकसित हुआ है। यह किला आज भी जिले की ऐतिहासिक और स्थापत्य पहचान है।
📜 ऐतिहासिक महत्व
रायसेन प्राचीन काल से एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र रहा है:
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15वीं शताब्दी में यह मांडू के सुल्तानों के अधीन था, बाद में राजपूतों के पास गया।
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1543 ई. में शेरशाह सूरी ने इसे पुरनमल राजपूतों से छीना।
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मुगल काल में रायसेन उज्जैन (मालवा) की सूबा के अंतर्गत एक सरकार का मुख्यालय था।
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1760 ई. के आसपास भोपाल रियासत के नवाब फियाज मोहम्मद खान ने इस पर अधिकार कर लिया और बाद में अलमगीर द्वितीय द्वारा फौजदार के रूप में मान्यता प्राप्त की।
🗺️ प्रशासनिक विकास
मुगल शासन के दौरान इस क्षेत्र की राजधानी खमखेड़ा थी जो गेरतगंज तहसील में स्थित थी। बाद में इसे बेगमगंज तहसील के सगौनी स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया।
भारत की स्वतंत्रता के बाद, जब भोपाल राज्य भारतीय संघ का ‘C’ राज्य बना, तो 5 मई 1950 को रायसेन जिला अस्तित्व में आया। इसका मुख्यालय रायसेन नगर बना और शुरुआत में इसमें केवल 7 तहसीलें शामिल थीं।
🌍 रायसेन जिले की प्रमुख विशेषताएं
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सांची स्तूप, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है
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ऐतिहासिक रायसेन किला और हज़रत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह
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समृद्ध जनजातीय संस्कृति और लोक परंपराएं
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भोजपुर शिव मंदिर में महाशिवरात्रि, सांची महोत्सव और उर्स महोत्सव जैसे प्रमुख आयोजन