बंद करे

संस्कृति और विरासत – रायसेन किला, मंदिर और ऐतिहासिक धरोहरें

संस्कृति और विरासत – रायसेन किला और पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह

रायसेन, भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह अपने भव्य रायसेन किले तथा पूज्यनीय हज़रत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है। ये दोनों स्थल जिले की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के प्रतीक हैं।


🏰 रायसेन किला – शौर्य, स्थापत्य और इतिहास का प्रतीक

बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर बना यह किला लगभग 800 वर्ष पुराना है और यह लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। किले के भीतर निम्न संरचनाएं मौजूद हैं:

  • प्राचीन हिंदू मंदिर

  • एक मस्जिद

  • राजसी महलों के अवशेष

  • अनेक बावड़ियाँ (सीढ़ीदार कुएँ) और एक बड़ा जलाशय

यह किला मध्यकालीन भारतीय पहाड़ी किलों की स्थापत्य शैली का एक बेहतरीन उदाहरण है। पहले यहां कई मंदिर थे, जिनमें से कुछ ही अब शेष बचे हैं — और कुछ अब चमगादड़ों का आवास बन चुके हैं, जिससे यह स्थल रहस्यमय बन गया है।


🕌 हज़रत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह – धार्मिक एकता का प्रतीक

रायसेन किले के परिसर में स्थित यह दरगाह सभी धर्मों के श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। मान्यता है कि यहाँ मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं, इसलिए यह दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द और भक्ति का प्रतीक बन चुकी है।

यहाँ प्रतिवर्ष उर्स मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।


📜 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

रायसेन किले ने कई ऐतिहासिक राजवंशों का शासन देखा है:

  • प्रारंभ में स्थानीय हिंदू सरदारों का नियंत्रण था

  • फिर यह मांडू के सुल्तानों के अधीन आया

  • मुगल काल में यह उज्जैन सूबे की सरकार का मुख्यालय बना

  • बाद में भोपाल रियासत के नवाबों ने इस पर अधिकार किया

फियाज़ मोहम्मद खान, भोपाल के तीसरे नवाब ने लगभग 1760 ई. में इस किले को अपने अधीन किया और मुगल सम्राट अलमगीर द्वितीय द्वारा उन्हें रायसेन का फौजदार नियुक्त किया गया।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इस किले की स्थापना लगभग 1200 ईस्वी में मानी जाती है।